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Govatsa dwadashi 2024: जानें गोवत्स द्वादशी का महत्व और इसके पीछे का कारण

Govatsa dwadashi 2024: गोवत्स द्वादशी, एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जिसे गायों और बछड़ों की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को आता है, जो इस वर्ष 28 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। गोवत्स का अर्थ है “गाय का बछड़ा” और द्वादशी का अर्थ है “बारहवां दिन”। यह त्योहार दीवाली की तैयारी का एक अभिन्न हिस्सा है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है, जैसे वसु बारस और नंदिनी व्रत।

महत्व और मनाने का कारण

गोवत्स द्वादशी का पर्व गायों के प्रति हमारी श्रद्धा और उनके महत्व को दर्शाता है। हिंदू धर्म में गायों को पवित्र और माता के समान माना जाता है। इस दिन, लोग गायों की पूजा कर उन्हें आशीर्वाद देने के लिए प्रार्थना करते हैं। कहा जाता है कि इस पर्व का आयोजन बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाता है। 

यह पर्व विशेष रूप से महाराष्ट्र में महत्वपूर्ण है, जहां इसे वसु बारस के नाम से मनाते हैं। गोवत्स द्वादशी की पूजा का एक विशेष अर्थ यह भी है कि यह दीवाली के उत्सव की शुरुआत को चिह्नित करती है। इस दिन गायों की पूजा करने से समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।

गोवत्स द्वादशी कैसे मनाई जाती है?

गोवत्स द्वादशी के दिन, महिलाएं विशेष रूप से अपने बच्चों के कल्याण के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन की पूजा विधि में निम्नलिखित प्रमुख बातें शामिल होती हैं:

1. गायों की पूजा: भक्त गायों को स्नान कराकर उनके माथे पर सिंदूर लगाते हैं। गायों को सजाने के लिए उन्हें चमकीले कपड़े और फूलों की माला पहनाई जाती है।

2. मिट्टी की मूर्तियाँ: यदि किसी को गाय नहीं मिलती, तो वे मिट्टी से गायों और उनके बछड़ों की मूर्तियाँ बनाते हैं। इन मूर्तियों को कुमकुम और हल्दी से सजाया जाता है।

3. प्रसाद: गायों को चना और अंकुरित मूंग जैसे विभिन्न प्रसाद दिए जाते हैं, जिन्हें पृथ्वी पर नंदिनी का प्रतीक माना जाता है।

4. आरती: शाम को गायों की आरती की जाती है, जिसमें भक्त श्री कृष्ण की भी पूजा करते हैं। भगवान कृष्ण को गायों से गहरा प्रेम होता है और उन्हें विशेष मान्यता दी जाती है।

5. व्रत और उपवास: महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और दिन में केवल एक बार भोजन करती हैं। उन्हें रात भर जागते रहना चाहिए, और यदि कोई सोना चाहता है तो उसे फर्श पर सोना चाहिए।

6. दूध और अन्य खाद्य पदार्थों का त्याग: कुछ क्षेत्रों में, गोवत्स द्वादशी के दिन गाय का दूध पीने और दही-घी का सेवन करने से परहेज किया जाता है।

गोवत्स द्वादशी 2024: समय और विशेषताएँ

गोवत्स द्वादशी 2024 में 28 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन की तिथि और समय निम्नलिखित हैं:

  • द्वादशी तिथि प्रारंभ: 28 अक्टूबर 2024 को सुबह 07:50 बजे
  • द्वादशी तिथि समाप्त: 29 अक्टूबर 2024 को सुबह 10:31 बजे
  • प्रदोष काल गोवत्स द्वादशी मुहूर्त: सायं 06:01 बजे से रात्रि 08:27 बजे तक

गोवत्स द्वादशी केवल गायों की पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिन गायों को सम्मान देकर, हम न केवल उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं, बल्कि अपने जीवन में सुख और समृद्धि की कामना भी करते हैं। दीवाली के उत्सव की शुरुआत के साथ, गोवत्स द्वादशी हमें याद दिलाती है कि हमारी परंपराएं और मान्यताएं हमें एकता और भाईचारे की ओर ले जाती हैं। इस विशेष दिन को मनाते समय, आइए हम सभी गायों के प्रति अपने प्रेम और सम्मान को दर्शाते हुए इस पर्व को आनंदित करें।

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