Homeदेशगुरुग्राम में जुटेंगे देशभर के युवा शोधकर्ता, बनाएंगे आत्मनिर्भर भारत की राह

गुरुग्राम में जुटेंगे देशभर के युवा शोधकर्ता, बनाएंगे आत्मनिर्भर भारत की राह

हरियाणा के गुरुग्राम में 15 से 17 नवंबर तक एसजीटी यूनिवर्सिटी में “विजन फॉर विकसित भारत (विविभा: 2024)” सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम भारतीय शिक्षण मंडल के युवा आयाम द्वारा आयोजित है, जिसमें देश भर के युवा शोधकर्ता भारतीय परंपरा और आधुनिक शोध के बीच सामंजस्य बैठाने पर विचार करेंगे।  

विशिष्ट मेहमानों की उपस्थिति में शुभारंभ 

इस सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत करेंगे। इस मौके पर इसरो के प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ और नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. कैलाश सत्यार्थी भी मौजूद रहेंगे। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को मौलिक शोध की दिशा में प्रेरित करना और भारतीय दृष्टिकोण को समझने का मौका देना है।  

सम्मेलन के मुख्य उद्देश्य

इस कार्यक्रम का फोकस युवाओं में शोधवृत्ति को बढ़ावा देना है। इसमें 1,200 युवा शोधकर्ताओं को एक कठोर प्रक्रिया के बाद चुना गया है। ये शोधकर्ता 6 मुख्य सत्रों और 11 समानांतर सत्रों में विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे। इन सत्रों में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, योगगुरु बाबा रामदेव और गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज जैसे वक्ता भी अपने अनुभव साझा करेंगे।  

आधुनिकता और परंपरा का संगम

सम्मेलन के दौरान एक भव्य प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी, जो भारतीय ज्ञान परंपरा और विज्ञान की आधुनिक उपलब्धियों को दर्शाएगी। इसमें कणाद ऋषि के समय से लेकर डॉ. कलाम तक की वैज्ञानिक उपलब्धियों को दिखाया जाएगा। युवा शोधकर्ताओं को यह अनुभव भारतीय संस्कृति और तकनीकी प्रगति के बीच संतुलन बनाने की दिशा में प्रेरित करेगा।  

शोधकर्ताओं के लिए अवसर

सम्मेलन के जरिए चयनित शोधार्थियों को प्रतिष्ठित संस्थानों में इंटर्नशिप का मौका मिलेगा। यह इंटर्नशिप उनके शोध को नई दिशा देने के साथ-साथ उनकी क्षमताओं को भी निखारेगी। इसके अलावा, भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका लॉन्च करने की योजना है, जो भारतीय शोध को वैश्विक मंच पर पहुंचाएगी।  

भारत को आत्मनिर्भर बनाने की पहल 

विविभा 2024 युवाओं को भारतीय दृष्टिकोण से शोध करने और देश की प्रगति में योगदान देने का अवसर प्रदान करेगा। यह सम्मेलन न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि मौलिक सोच और नवाचार को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित होगा।  

इस आयोजन से युवा पीढ़ी को भारत के भविष्य को आकार देने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने में मदद मिलेगी।  

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