Homeधर्मDhanvantari Trayodashi: भगवान धन्वन्तरि का महत्व और पूजन विधि

Dhanvantari Trayodashi: भगवान धन्वन्तरि का महत्व और पूजन विधि

धन्वन्तरि त्रयोदशी, जिसे धनतेरस भी कहा जाता है, दीवाली से दो दिन पहले कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को भगवान धन्वन्तरि, जो आयुर्वेद के जनक और देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं, के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान धन्वन्तरि की पूजा से आयु, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

भगवान धन्वन्तरि का महत्व और पूजन विधि

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, जिसने देवताओं को अमरता प्रदान की। इस दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा करके लोग अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करते हैं। विशेष रूप से आयुर्वेद और चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत लोगों के लिए यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

धन्वन्तरि त्रयोदशी पर लोग बर्तन, स्वर्ण, और चांदी के आभूषण खरीदना शुभ मानते हैं, क्योंकि इससे घर में समृद्धि और सुख-शांति आती है। इस दिन, भगवान धन्वन्तरि के साथ-साथ लक्ष्मी-कुबेर की भी पूजा की जाती है, जिससे धन और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

धनतेरस और दीपावली का संबंध

धनतेरस के बाद दीवाली का पर्व आता है, जो लक्ष्मी पूजा का दिन होता है। जबकि धनतेरस पर लोग धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते हैं, दीवाली के दिन माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। यह पर्व अपने साथ सुख, समृद्धि और उज्जवल भविष्य की कामना लाता है।

पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, धन्वन्तरि त्रयोदशी पर भगवान धन्वन्तरि की आराधना करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष और आयुर्वेद में इस दिन का विशेष महत्व है, और इसे आय, ऐश्वर्य, सौभाग्य और संपत्ति की प्राप्ति का दिन माना जाता है। 

धनतेरस और भगवान धन्वन्तरि की पूजा से जुड़ी ये परंपराएँ हमारे जीवन में संतुलन और समृद्धि लाने के प्रतीक हैं। इस पावन पर्व पर पूरे श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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